बहारों में शाखों पर गुल तो बहुत आते होंगे।
पतझड़ में कोई आता तो कुछ और बात होती।
पानी में आपने कमल तो बहुत देखे होंगे।
रेगीस्ताँ में फूल खिलते तो कुछ और बात होती।
कुछ पाने की होड़ में शामिल तो बहुत लोग हैं।
कोई खोने की बात करता तो कुछ और बात होती।
किसी के मुह से निबाला छीनने बाले तो बहुत हैं।
कोई ख़िलाने की बात करता तो कुछ और बात होती।
किसी की खुशियों में शामिल तो सभी होते हैं।
कोई दर्द भी बाँटता तो कुछ और बात होती।
पत्थरों की बस्तियों में तो हर कोई बसता है।
कोई दिलों में घर बनाता तो कुछ और बात होती।
No comments:
Post a Comment