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बुझी नज़र में अश्क़ बाकी है


बुझी नज़र में अश्क़ बाकी है।
सूरत तेरी का अक्स बाकी है।

रोज़ करता हूँ सितारों से तेरी बाँतें।
चाँद में अब भी तेरा नक़्श बाकी है।

पढ़ लेती है मेरे चेहरे की मायूसी।
अब भी तेरी चाहत मेरी साथी है।

भूल जाऊं तुम्हे यह मुमकिन हो शायद।
मगर अभी तेरे गम से मोहबत बाकी है।



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