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जब भी तुम्हें देखा करता था


जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।
वक़्त गुज़र जाता था एक,
पल मैं ना जाने कितना।
जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

साँसे रुक जाती थी मेरी।
तुम्हारी हर अदा पर।
जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

गुजरती थी जब तुम मेरे पास से।
हवाओं में अपनी खुशबु महकाए।
जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

मुस्काया करती थी तुम।
जब मुझे देख कर यूँ ही।
तुम्हारी आँखों में अपनी।
तस्वीर देखा करता था।
जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

बिना कुछ कहे आँखों से।
सब कुछ कह जाती थी तुम।
जब भी तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

फिर घिर जाता था अन्धेरों में कभी।
तो पास आती हुई रौशनी मैं।
बस तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था।

करता था जब भी आँखे मैं बंद अपनी।
अपने ख्यालों में तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें ही देखा करता था

आज हो तुम मुझसे दूर कहीं।
कभी मैं कितने पास से।
तुम्हें देखा करता था।
बस तुम्हें देखा करता था।


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