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लफ़्ज़ों की बेरुखी देखी


लफ़्ज़ों की बेरुखी देखी मैने तेरी आँखों में।
अपनी ज़िन्दगी लुटती देखी मैने तेरी आँखों में।

एक उदास लम्हें में कयामत समेट कर।
मैने देखी बुझती वफ़ा तेरी आँखों में।

बेज़ान सी मोहबत नज़र आ रही थी मुझे।
नही मिले मुझे दर्द के सेहरा तेरी आँखों में।

हाल-ए-दिल अब तुझसे क्या कहूँ ऐ नर्गिस-ए-हुसन।
असर मेरी चाहत का मिलता नही तेरी आँखों में।



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